शिक्षा मेंं ज्योतिष का महत्व- जाने कैसे बना सकते हैं अपना भविष्य
आज के समय मेंं सभी अपना और अपने परिवार को उच्च शिक्षा ग्रहण करवाने की इच्छा रखते है। इसी वजह से अभिभावक अपने बच्चों की शिक्षा को लेकर बहद्द चिंतित है। पौराणिक समय मेंं बच्चों को गुरुकुल मेंं शिक्षा दी जाती थी जिसमें बच्चे आश्रम में रहकर शिक्षा प्राप्त करते थे। परंतु वक्त के साथ साथ शिक्षा के क्षेत्र मेंं की बदलाव आए जिन्होंने शिक्षा का रूप ही बदल दिया। मौजूदा समय में शिक्षा आजीविका का मूल रास्ता बन चुका है। आज के समय में मानसिकता और क्षमता के अनुसार शिक्षा प्राप्त करवानी चाहिए जो की जीवन निर्वाहन और राष्ट्र के हित के लिए सहायक सिद्ध हो सके। इसलिए लोग ज्योतिष से सलाह लेना पसंद करते है। जन्म कुंडली/career prediction by date of birth की गणना करके यह जाना जा सकता है की बच्चे के लिए किस क्षेत्र या फिर करियर के अनुसार शिक्षा प्राप्त करना लाभदायक है।
शिक्षा में ज्योतिष की भूमिका
माता-पिता और अभिभावक के मन मेंं यह प्रश्न तो जरूर उठता होगा की अपने बच्चों को किस क्षेत्र मेंं शिक्षा प्रदान करवाना उचित है। ऐसे में करियर ज्योतिष/Career Astrology मददगार साबित हो सकती है। ज्योतिष की मदद से कुंडली की गणना करके शिक्षा के भावों पर ध्यान एकत्रित किया जा सकता है। हम कुंडली के चतुर्थ, पंचम और दूसरे भाव से शिक्षा के प्रत्यक्ष रूप की जानकारी प्राप्त कर सकते है।
शिक्षा में भावों का महत्व
द्वितीय भाव: द्वितीय भाव को कुटुंब भाव के नाम से भी जाना जाता है। आम तौर पर बच्चे अपने पाँच वर्ष तक सभी संस्कार की शिक्षा घर से ग्रहण करते है। इन पांचों वर्षों तक बच्चा जो संस्कार ग्रहण करता है वे सभी उनके पूर्ण जीवन में काम आते है। इसलिए द्वितीय भाव से पारिवारिक शिक्षा की जानकारी पता चलती है।
चतुर्थ भाव: यह कुंडली के सुख भाव को दर्शाता है। आरंभिक शिक्षा के बाद यह भाव विद्यालय की शिक्षा के भाव को दर्शाता है। इस भाव की गणना करके ज्योतिष बच्चे की शिक्षा के स्तर की जानकारी प्राप्त कर सकतें है। इसका इस्तेमाल शिक्षा में मार्गदर्शन और विषय चुनने में मददगार साबित होता है।
पंचम भाव: कुंडली के पंचम भाव को शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण भाव माना जाता है। इस भाव के अनुसार मिलने वाली शिक्षा आजीवन सहयोगी साबित होती है। इस भाव की मदद से प्राप्त की गई शिक्षा नौकरी और व्यवसाय में सहायक साबित होती है। पंचम भाव की मदद से आजीविका के लिए शिक्षा का आकलन किया जाता है।
शिक्षा में ग्रहों की भूमिका
बुध को बुद्धि का कारक ग्रह भी कहा जाता है। साथ ही गुरु ग्रह ज्ञान और गणित का कारक ग्रह है। जिस जातक की कुंडली में गुरु अच्छी स्थिति में है वे गणित में अच्छे होते है। जिस जातक की कुंडली में इन दोनों ग्रहों की अच्छी स्थिति होती है वे शिक्षा के क्षेत्र में उत्तीर्ण होते है। इन दोनों ग्रहों का संबंध तरीकों एवं केंद्र भाव से होता है। साथ ही यह जानना भी आवश्यक है की कुंडली में पंचमेश किस स्थिति में है। इसलिए यह जरूरी है की शिक्षा प्रारंभ करने से पहले किसी ज्योतिष से सलाह (talk to astrologer) जरूर ले।
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